NOTE:- इस एप्प की सबसे बड़ी खासियत यह है कि आप ऑनलाइन देख सकते है तथा पसंद आये तो ही डाऊनलोड करें।जैसा कि Telegram में यह सुविधा नही है।अतः यह एप्प टेलीग्राम से भी एक कदम आगे है। अक्सर लोग फ़िल्म देखने के लिए सबसे पहले YOUTUBE का सहारा लेते है।पर YOUTUBE पर सभी फिल्में नही मिलती। अगर मिल भी गयी तो उसके लिए पैसे PAID करने पड़ते है। सबसे खास बात यह है कि YOUTUBE फ्लॉप मूवी को जल्द अपलोड कर देता है जबकि सुपर डुपर हिट मूवी देखने के लिए चार्ज लगा देता है।यूट्यूब से डाऊनलोड की हुई मूवी शेयर नही की जा सकती ।शेयर करने के नाम पर डाउनलोड करने का एक लिंक देता है जो कि काफी निराशाजनक होता है।और तो और आप youtube पर लैटेस्ट नई मूवी या वेब सीरीज बिल्कुल नही देख सकते क्योंकि लैटेस्ट नई मूवी या वेब सीरीज के लिए पैसे देने पड़ते है। लेकिन videopur आपके लिए लाया है एक विशेष App क्या आप भी नई नई फिल्म या वेब सीरीज देखना चाहते है:- पर कैसे देखेंगे ?youtube पर तो मिलेगा ही नही। 😂😄😀😁 आज हम आपको एक बेहतरीन App के बारे में बता...
आज के इस काल्पनिक कहानी को पढ़ने के बाद अगर आपको कुछ कहना हो तो कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दीजियेगा.आपके बहुमूल्य सुझावों का हम पूरे सम्मान के साथ स्वागत करते है. घर में खुशी का माहौल था. सभी बहुत खुश थे.इस खुशी का कारण भी अपने आप में बड़ा था. आखिरकार महेश के घर में चार बेटियों के बाद आज एक बेटे का जन्म जो हुआ था.परिवार मध्यमवर्गीय था.इसलिए चार बेटियों के लालन पालन की चिंता को भूलते हुए महेश पूरे हर्षों उल्लाश के साथ इस खुशी को अपने परिवार के साथ साथ गांव वालों के साथ जश्न मना रहा था. वैसे भी मध्यमवर्गीय परिवार खुशियां बाटने में कमी नही करता.भले ही उसके हिस्से में दुख ही क्यों न लिखा हो. मानवों की बटवारे में मध्यमवर्गीय परिवार को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है. महेश का पूरा परिवार कृषि पर आधारित था.इसलिए इनके जीवन में उत्तर चढ़ाव लाजमी था.चार बेटियों के बाद जन्म लेने के कारण लड़के का नाम दीपक रहा.मानो यह लड़का इस परिवार के लिये कुलदीपक के समान हो,खैर ये उनकी अपनी श्रद्धा ,विश्वाश था. समय बीतता गया, महेश ने एक एक करके चारों बेटियों की शादी कर देता है. लड़के को अपनी इस मध्यमवर्गीय...
संसद भवन की खास बातें Source:-दृष्टि आईएएस drishti Ias आप आजकल कभी संसद भवन के आसपास से गुजरें तो समझ आ जाएगा कि देश की नई संसद की इमारत के निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है। संसद भवन परिसर को बड़े-विशाल बोर्डों से घेर दिया गया है पर अंदर से बाहर आने वाली आवाजें बताती हैं कि नई संसद बनाई जा रही है। हालॉंकि पुराना संसद भवन बना रहेगा। उसके उपयोग को लेकर भी सरकार जल्दी फैसला लेगी। निश्चित रूप से भारतीय लोकतंत्र का सबसे अहम प्रतीक रहा है हरबर्ट बेकर द्वारा डिजाइन किया गया संसद भवन। बेकर ने अपने सीनियर और नई दिल्ली के चीफ टाउन प्लानर एडवर्ड लुटियंस के परामर्श से संसद भवन का डिजाइन तैयार किया था। इस निर्माण के वक्त दोनों में कई मुद्दों पर बहस होती रहती थी। बेकर इसके बड़े हॉल के ऊपर गुंबद बनवाना चाह रहे थे जबकि लुटियंस इसे गोलाकार रखने का पक्ष में थे। तब इसका नाम कौंसिल हाउस था। संसद भवन का निर्माण 1921-1927 के दौरान किया गया था। इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को हुआ था। संसद भवन वास्तुकला का एक उत्कृष्ट नमूना है। इसकी तुलना विश्व के सर्वोत्तम संसद भवनों के साथ की जा सकती है। यह एक विशाल वृत्ताकार...
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