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दंड या माफी

          "यदि आप वास्तव में अपना हित चाहते हैं, अपनी उन्नति और सुधार चाहते हैं, तो गलती करने पर 'दंड मांगें', माफी नहीं।"         एक बच्चे ने स्कूल में एक गलती कर दी। किसी दूसरे बच्चे की पेंसिल चुरा ली। उसकी गलती पकड़ी गई। उसने अध्यापक से कहा, कि " मुझे माफ कर दीजिए, मैं भविष्य में दोबारा गलती नहीं करूंगा।" अध्यापक ने उसे माफ कर दिया। कोई दंड नहीं दिया। इस माफी देने का बच्चे के मन पर यह प्रभाव पड़ा, कि *"यह तो बहुत अच्छा हुआ, मैंने गलती भी की। सिर्फ दो शब्द बोल दिए, कि मुझे माफ कर दीजिए। और अध्यापक जी ने मुझे माफ कर दिया। दंड तो कुछ मिला नहीं। इसका मतलब गलती करने में कोई नुकसान नहीं है।"*          इस मनोवैज्ञानिक प्रभाव के आधार पर अब आप सोचिए, *"क्या वह बच्चा दोबारा वही गलती अथवा और कोई गलती करेगा या नहीं?"* अवश्य करेगा। मनोविज्ञान कहता है, *"जब उसे दंड तो मिला ही नहीं, तो वह बार बार गलती क्यों नहीं करेगा?"*             एक दिन ए...