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जिंदगी क्या है....

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अब एक प्रश्न और आता है कि अगर सन्तोषम  परम् धनम   से आदमी खुश रह सकता है, सुखी जीवन बिता सकता है तो फिर इतनी कठोर परिश्रम करने की आवश्यकता क्या है  ?
                 .....हम अपने जीवन मे जो कुछ भी करते है उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है।चाहे वो हम अपने लिए करें या किसी और के लिए।जैसे कि हम अपने दिनचर्या का नियमित पालन करते है जिससे हम निरोग  रह सके।निरोग अर्थात बीमारियों से मुक्त। मनुष्यों ने अपनी सुख सुविधाओं का काफी हद तक विकास और विस्तार किया ,जिससे वे एक आनंददायक जीवन बिता सके।हमारे जीवन मे सुख सुविधाओं का महत्व तभी है जब हम स्वस्थ्य है।स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क का विकास होता है। या यूं कहें तो HEALTH IS WEALTH.
मारे शरीर को रोग मुक्त रखने के लिये नियमित वयायाम जरुरी है ।जिस प्रकार हम अपनी शरीर को निरोग रखने के लिए मेहनत करते है ठीक उसी प्रकार कठोर परिश्रम तभी करते हैं जब हमें अपने जीवनशैली को दूसरों से अलग और भव्य बनाना हो। यही कठोर परिश्रम हमे अपनी मंजिलों तक पहुंचाती है।
                अतः संक्षेप में कहें तो अपनी जीवन मे वो तमाम उचाईयों को छूने, उन सभी सुख-वैभव का भोग विलास करने,दुसरो से भिन्न जीवन जीने  जिससे हमारा जीवन सुखद और आनन्दायक हो ;को प्राप्त करने के लिए हमे कठोर परिश्रम करना पड़ता है।

पोस्ट अच्छा लगे तो अपनी राय जरूर दें।
                                                     धन्यवाद

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