अक्सर आपने किसी इंडियन आर्मी के जवान के मुँह से ये कहते सुना होगा कि ...
इश्क में लोग हदें पार कर जाते है, इश्क में लोग हदें पार कर जाते है, हम इंडियन आर्मी है जनाब, वतन के लिए सरहदें पार कर जाते हैं।।
यह सिर्फ एक कहावत नही बल्कि एक सच्चाई है जिसे आप और हम क्या पूरी दुनिया जानती है।इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देखना है तो आर्मी भर्ती रैली में चले जाइये आप खुद अंदाजा लगा लेंगे या फिर अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को देख लीजिए जो हमारे एक एयरफोर्स के जवान को क्या पकड़ा ,उसकी नानी याद आ गयी।थोड़ा पीछे और देखिए जब पाकिस्तान ने उरी अटैक किया तो हमारी इंडियन आर्मी ने सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया।और तो और बालाकोट में हमारे एयरफोर्स ने एयर स्ट्राइक कर के ये साबित कर दिया कि हम इंडियन किसी से कम नही ।
वो भी एक वक्त था जब हम कहते थे...
तुम दूध मांगोगे तो हम खीर देंगे, तुम दूध मांगोगे तो हम खीर देंगे, अगर कश्मीर मांगोगे तो हम चिर देंगे।। कुुुछ ऐसा ही सुनने को हमेेशा मिलता रहता था,पर अब वक्त बदल चुका है और इस पंक्ति को हमारे देश के युवाओं ने भी बदल दी है...
न दूध देंगे,न खीर देंगे, न दूध देंगे, न खीर देंगे, अगर कश्मीर के तरफ देखा तो,इस्लामाबाद भी छीन लेंगे।।
जी हाँ, कुछ ऐसे ही जोश और जुनून के साथ गोसाई मांझा,कमलाकांत कररिया, पेउली,बाढेया,कालोपट्टी,बरौली,भैरोपट्टी,सबेया,साहेबाचक, जिनबाजर, त्रिलोकपुर, पकड़ियार,काजीपुर,बड़कागाँव, सिसवनियाँ, कांधगोपी के युवा इंडियन आर्मी में भर्ती होने के लिए जी तोड़ कर मेहनत कर रहे है।वैसे ये कोई बड़ी बात नही की वो इतनी मेहनत कर रहे है।पर इन युवाओं ने सबसे अलग कुुुछ ऐसा किया है जो काबिल-ए- तारीफ है।वैसे भी,इंडियन आर्मी में जाना कोई बच्चों का खेल नही।क्योंकि इंडियन आर्मी में भर्ती होने के लिए हर एक युवा को कठिन से कठिन परिश्रम करना पड़ता है और और वे सफलता हासिल भी करते है।
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पर गोसाई मांझा,कमलाकांत कररिया,पेउली,बाढेया,कालोपट्टी,बरौली,भैरोपट्टी,सबेया,साहेबाचक, जिनबाजर, त्रिलोकपुर, पकड़ियार,काजीपुर,बड़कागाँव, सिसवनियाँ, कांधगोपी के युवाओं ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसका आपको अंदाजा भी नही होगा।जी हाँ, आपने बिल्कुल सोचा भी नहीं होगा।और उनकी इसी लगन और परिश्रम को देख कर मैं भगवान से प्रार्थना करता हूं कि ये सभी युवा अपने मकसद में सफल हो;इंडियन आर्मी में भर्ती होने का सपना इनका पूरा हो।
चलिए बात करते है आखिर इन्होंने ऐसा क्या किया है जो ये इतने चर्चे में है?
दरअसल ये सभी युवा गोपालगंज जिले के अंतर्गत आते है,और गोपालगंज जिले में एक द्वितीय विश्वयुद्ध के समय का बना हुआ एयरपोर्ट है जो फिलहाल किसी काम का नही बचा है।यह 517 एकड़ में फैला हुआ है जिसमे से करीब 100 एकड़ जमीन पर लोग अपना जीवन यापन करते है। कभी कभार यहाँ पर कुछ लोग क्रिकेट खेलते भी नजर आ जाएंगे।यह एयरपोर्ट भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अधीन है ।यह चीन से काफी नजदीक भी है जो सुरक्षा की लिहाज से और भी महत्वपूर्ण है।अगर भविष्य में इसका जीर्णोद्धार किया जाता है तो ठीक है वरना इसका कोई मोल नही रह गया है।एक सुनसान, वीरान मरुस्थल जैसा पड़ा हुआ मैदान है। 1st जनवरी हो या फिर किसी नेता का रैली उसी समय यहाँ परिंदा भी पैर मारता है ।इसके अलावा इसको पूछने वाला कोई नही।
पर जब तक रक्षा मंत्रालय इसका काया-कलप को पलटे तब तक इसका सही रूप में इस्तेमाल इन युवाओ ने की है।इंडियन आर्मी के ये भक्त भी किसी से कम नही ।इन्होंने एयरपोर्ट का ही भूमि-पूजन कर डाला।
इतना जोश और जुनून शायद आपको कही देखने को मिले।इनका सपना है की ये अपने माता-पिता का नाम रौशन करे।उनका मान-सम्मान बढ़ाये।और इसीलिए इन्होंने इंडियन आर्मी में भर्ती होने के लिए खुद से एक प्रण किया है...
इस पूजा में अमित,मृत्युंजय, मुकेश,धर्मेंद्र,धनंजय, गोलु, विशाल,अभिषेक,मनीष,दीपक,सचिन,मृगेंद्र, पंकज,हरकेश,प्रिंस आकाश सनी ,बिट्टू,लड्डन,सोनू,राहुल आदि शामिल थे। आमलोग जब सोये रहते है तब ये युवा एयरपोर्ट के ग्राउंड का चक्कर लगा रहे होते है।एक बात और बता दूँ यह ग्राउंड इनके घर से 5 से 6 किलोमीटर दूर पड़ता है।वहाँ तक साईकल चलाकर जाना फिर वहाँ पूरे लगन से मेहनत करना ,फिर उसी साईकल से वापस आना ये किसी आम लड़को से नही हो पायेगा।घंटो मेहनत करने के बाद ये हर रोज 100m,200m या फिर 400m की स्प्रिंट भी लगाते है और खुद का आकलन भी करते रहते है।फिर उसके बाद घर का काम और उसके बाद में खेती की जिम्मेदारी इन्ही युवाओ के पास है ।आप खुद अंदाजा लगाइये इतनी मेहनत हर किसी से संभव नही है।सिर्फ इंडियन आर्मी ही एक ऐसी उम्मीद है जो इन युवाओं को निरंतर ऊर्जा दे रही है और ये अथक रूप से परिश्रम किये जा रहे है।
Bahut achha
ReplyDeleteAapka name kya hai jisne ye dala hai
Thank you.
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